Description
अमृतधारा (Amritdhara) ऐसी हर्बल आयुर्वेदिक दवा है जो जीवन रक्षक है. अकेले ही 118 रोगों में लाभकारी है जो हर घर , Pocket, Purse में होनी ही चाहिए ! इनके लाभ और प्रयोग को जानेंगे…
सावधानी : आँखों व बच्चों से दूर रखें
मात्रा : 5 से 6 बूँद बड़ों के लिए, बच्चे को 1 से 2 बूँद केवल
अमृतधारा अमृत के समान साधारण सी दिखने वाली यह औषधि रोगियों के लिए वरदान है। यह औषधि शरीर में पहुंचते ही इतनी जल्दी असर दिखाती है कि रोगी का रोग दूर होकर राहत मिलती है।
अमृतधारा (Amritdhara) की मुख्य विशेषता यही है कि इसका शरीर पर कोई विषाक्त प्रभाव नहीं पड़ता। खासकर इन बीमारियों जैसे- लू लगना, जी मिचलाना, श्वास लेने में कठिनाई, उदर शूल, अफरा, अतिसार, अजीर्ण, दंत शूल, सिर दर्द, कीट दंश, शोध, दांत दर्द आदि में इसका प्रयोग अधिक किया जाता है।
अमृतधारा के अद्भुत फायदे प्रयोग आप भी जानिए-
- Gas Acidity पेट दर्द:- 5 -6 बूंद अमृतधारा (Amritdhara) थोड़े से गर्म पानी में डालकर पीने से बदहजमी, पेट दर्द, दस्त, उल्टी बंद हो जाती है।
- Tooth Pain दांत दर्द दांत-दाढ़ में दर्द पर अमृतधारा (Amritdhara) का फाया रखने से दर्द में तुरंत राहत मिलती हैं।
- हिचकी:- 1-2 बूंद अमृतधारा (Amritdhara) जीभ पर रखकर अंदर की तरफ सूंघने से 4-5 मिनट में ही हिचकी में फायदा होता है।
- Vomiting उल्टी हैजा:- 1 cup पानी मे 4 से 5 बूँद अमृत धारा मिलाकर पिएं या 1 चाय के चम्मच प्याज के रस में 2 बूंद अमृतधारा (Amritdhara) डालकर पीने से हैजा रोग में लाभ होता है।
- सिर दर्द:- MIGRAINE होने पर 2 बूंद रुई में लगा कान के पीछे लगा दे और अमृतधारा (Amritdhara) ललाट पर मसलने से सिर दर्द में फायदा होता हैं।
- CRACK HEAL:- 10 ग्राम वैसलीन में 4 बूंद अमृतधारा (Amritdhara) मिलाकर सभी प्रकार के शरीर दर्द में मालिश करने से दर्द ठीक हो जाता हैं। फटी हुई बिवाई और फटे होंठों पर लगाने से भी फयदा होता है।
- दस्त:- 5-7 बूंद अमृतधारा (Amritdhara) एक चम्मच अदरक के रस में मिलाकर ठंडे पानी में लेने से दस्त ठीक हो जाते हैं।
- ASTHMA दमा निमोनिया:- गर्म पानी में 4-5 बूंद अमृतधारा (Amritdhara) डालकर प्रात: सायं पीने से श्वास, खांसी, दमा और क्षय रोग में फायदा मिलता है। निमोनिया होने पर तिल तेल में 100 ml में 10 ml मिलाकर छाती की मालिश करें
- सर्दी जुकाम बंद नाक:- अमृतधारा (Amritdhara) की 5 बूँद गर्म पानी में डालकर पिएं और Steam ले गर्म पानी को उबाल कर 5 बूँद मिलाकर ☆ सूंघने मात्र से भी बंद नाक खुल जायगी
- मधुमक्खियों भीरड़ व जहरीले कीट के काटने पर अमृतधारा मसलने से दर्द में राहत मिलती है।
- Mouth अल्सर में 1-2 बूंद अमृतधारा थोड़े से पानी में मिलाकर छालों पर लगाने से फायदा होता है।
- घबराहट बेचैनी Breathless:- दिल की बेचैनी ● साँस लेने की समस्या में पानी मे 5 बूँद डालकर पीने से Magical Result मिलेगा
- मोच ● Cramps ● सूजन ● Cervical Pain ● Knee Pain में 2 से 4 बूँद लेकर मालिश करें और ढक कर रखे
- अजीर्ण ● अभारा होने पर 1 cup गर्म पानी मे 4 से 5 बूँद पी ले तुरन्त लाभ मिलेगा
- ऑक्सीजन कमी को बढ़ाने में अमृत धारा पीते ही तुरन्त oxygen level बढ़ जाता है
- PERIODS CRAMP में महिलाओं को 5 बूँद पीने से बहुत फायदा होता है
- यकृत रोग :- अमृत धारा की तीन चार बूंद त्रिफला के पानी में डाल कर सुबह साम पियें ! व यकृत स्थान पर अमृत धारा की मालिस करने से यह रोग शान्त हो जाता है !!
- जल जाने पर :- अग्नि, तेजाब, गरम पानी, या गरम तेल में जल जाने पर Coconut oil में डालकर मलने से जलन शान्त होती है !!
- Joints pain, लकवा, गठिया आदि :- अमृत धारा में १ तोला सरसों का या मीठा तेल मिला कर मालिस करना और गरम कपड़े से सेंक करना या ऊपर पुरानी रूई गरम कर बांधने से वायु संबन्धी पीड़ा की शान्ति होती है !!
- नेत्र रोग :- 1 या 2 बूंद अमृत धारा की कपाल पर व कनपटियों पर मलने से सब तरह के शिर दर्द व नेत्रों का दुखना नष्ट हो जाता हैं !!
- बुखार ज्वर :- तुलसी, अदरक, और गिलोय नीम या इनमें से किसी एक चीज का स्वरस पाव तोला ( 2 से 5 g तक) लेकर उसमें तीन बूंद अमृत धारा की डालकर पिलाएं ! यह एक खुराक है ! ऐसे ही सुबह दोपहर साम व रात को लें ! तीन चार दिन के प्रयोग से सर्व प्रकार के ज्वर दूर होते हैं ! तथा एक चम्मच गरम पानी के साथ तीन चार बूंद अमृत धारा की डालकर प्रात: व सायं पिलाने से मोतीझरा ज्वर आदि सर्व ज्वर शान्त होते हैं !!
- पसली चलना :- सौंफ या अजवाइन के अर्क या क्वाथ में 4 – 5 बूंद अमृत धारा की डालकर पीने से पसली का दर्द व न्यूमोनिया का रोग मिटता है ! अथवा केवल अमृत धारा को सौंठ के चूर्ण में मिला कर देने से भी आराम होता है ! और पसली पर अमृत धारा मलने से भी रोग शान्त होता है !!
- कमजोरी :- 10 g यानी 1 तोला गाय के मक्खन और आधा तोला 5 g शहद में 4 बूंद अमृत धारा नित्य लेने से कमजोरी रोग का नाश होता है !!
- छाती के रोग :- हृदय पर अमृत धारा को तेल में मिलाकर मलना चाहिए ! और ऑवले के मुरव्बे में तीन चार बूंद अमृत धारा डालकर खिलाने से सर्व हृदय रोग मिटतें हैं !!
- मंदाग्नि रोग:- भोजन का न पचना :- भोजन के पश्चात २/३ बूंद अमृतधारा (Amritdhara) ठन्डे पानी के साथ लेने से मन्दाग्नि के सब रोग शांत होते हैं ! अथवा सौंठ के अर्क के साथ पानी में मिला पीने से सब प्रकार के उदर विकार नाश हो जाते हैं
NOTE: चिकित्सकीय लाभ हेतू आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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