Herbal Hair Pack Powder

हर्बल हेयर पैक पाउडर | बालों के झड़ने, डैंड्रफ और ग्रोथ के लिए आयुर्वेदिक समाधान

आज के समय में प्रदूषण, अनियमित जीवनशैली और केमिकल युक्त उत्पादों के कारण बालों से जुड़ी समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं। बालों का झड़ना, डैंड्रफ और कमजोर जड़ें आम समस्याएं बन गई हैं। ऐसे में यदि आप प्राकृतिक और सुरक्षित समाधान ढूंढ रहे हैं, तो हर्बल हेयर पैक पाउडर आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।

हर्बल हेयर पैक पाउडर क्या है?

हर्बल हेयर पैक पाउडर एक ऐसा प्राकृतिक मिश्रण है, जिसे विभिन्न आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों जैसे भृंगराज, आंवला, रीठा, शिकाकाई, नीम पत्ता, ब्राह्मी, गुड़हल (हिबिस्कस), मेथी और मुल्तानी मिट्टी से तैयार किया जाता है। यह बालों की गहराई से सफाई करता है, स्कैल्प को पोषण देता है और बालों की प्राकृतिक ग्रोथ को बढ़ावा देता है।

हर्बल हेयर पैक के प्रमुख लाभ

1. बालों का झड़ना कम करे

भृंगराज और आंवला जैसे घटक बालों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं, जिससे बालों का झड़ना धीरे-धीरे कम होने लगता है।

2. डैंड्रफ और खुजली से राहत

नीम पत्ता और रीठा स्कैल्प को साफ करते हैं और बैक्टीरिया तथा फंगल इन्फेक्शन को रोकते हैं, जिससे डैंड्रफ और खुजली से राहत मिलती है।

3. बालों की प्राकृतिक ग्रोथ

ब्राह्मी और गुड़हल जैसे तत्व बालों के रोमछिद्रों को सक्रिय करते हैं, जिससे बालों की नई ग्रोथ को प्रोत्साहन मिलता है।

4. बालों को प्राकृतिक चमक और मजबूती दे

शिकाकाई और मेथी बालों में नमी बनाए रखते हैं, जिससे बाल मुलायम, चमकदार और मजबूत बनते हैं।

5. स्कैल्प को डिटॉक्स करे

मुल्तानी मिट्टी अतिरिक्त तेल और गंदगी को हटाकर स्कैल्प को ताजगी देती है और हेयर फॉलिकल्स को स्वस्थ बनाती है।

उपयोग करने का तरीका

  1. आवश्यक मात्रा में हर्बल हेयर पैक पाउडर लें।
  2. इसमें पानी, दही या एलोवेरा जेल मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट बनाएं।
  3. बालों और स्कैल्प पर अच्छे से लगाएं।
  4. 30-45 मिनट तक सूखने दें।
  5. सामान्य पानी से धो लें।
  6. सर्वोत्तम परिणाम के लिए सप्ताह में 1-2 बार उपयोग करें।

क्यों चुने हमारा हर्बल हेयर पैक पाउडर?

✔️ 100% शुद्ध और प्राकृतिक सामग्री
✔️ बिना किसी केमिकल या प्रिजर्वेटिव के
✔️ सभी बालों के प्रकार के लिए उपयुक्त
✔️ पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए फायदेमंद
✔️ आयुर्वेदिक फार्मूला, सदियों पुराने नुस्खों पर आधारित

निष्कर्ष

अगर आप बालों से जुड़ी समस्याओं का प्राकृतिक और स्थायी समाधान चाहते हैं, तो हर्बल हेयर पैक पाउडर को अपनी हेयर केयर रूटीन का हिस्सा जरूर बनाएं। यह आपके बालों को अंदर से पोषण देगा, मजबूती बढ़ाएगा और बालों को नई जान देगा।

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chajan

छाजन का देसी इलाज | chajan ki dawa | छाजन का घरेलू उपाय

छाजन रोग (Pityriasis Versicolor) एक सामान्य त्वचा रोग है, जो फंगस (कवक) के कारण होता है। यह त्वचा की सतह पर छोटे-छोटे धब्बों के रूप में प्रकट होता है और अक्सर यह शरीर के ऊपरी हिस्से जैसे पीठ, छाती, गर्दन और बाहों पर दिखाई देता है। छाजन रोग में त्वचा पर सफेद, गुलाबी, लाल या भूरे रंग के धब्बे बनते हैं, जो सूरज के संपर्क में आने पर अधिक स्पष्ट हो जाते हैं। यह रोग अधिकतर युवा वयस्कों और किशोरों में पाया जाता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।

छाजन रोग के कारण:

छाजन रोग का मुख्य कारण मेलासेज़िया नामक फंगस होता है, जो सामान्यतः त्वचा पर पाया जाता है। जब इस फंगस की अत्यधिक वृद्धि होती है, तो यह त्वचा पर धब्बे उत्पन्न करता है। इस फंगस की वृद्धि अधिकतर नम और गर्म वातावरण में होती है, जिससे यह उन लोगों में अधिक होता है जो अत्यधिक पसीना बहाते हैं। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, हार्मोनल बदलाव, और तैलीय त्वचा भी इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं।

छाजन रोग के लक्षण:

  1. त्वचा पर छोटे-छोटे धब्बे या चकत्ते बनना।
  2. धब्बे सफेद, गुलाबी, लाल, या भूरे रंग के हो सकते हैं।
  3. प्रभावित क्षेत्र में खुजली या हल्की जलन महसूस हो सकती है।
  4. धब्बे सूर्य के संपर्क में आने पर अधिक स्पष्ट हो जाते हैं।
  5. त्वचा रूखी या पपड़ीदार हो सकती है।

छाजन रोग का इलाज:

छाजन रोग का इलाज करने के लिए एंटीफंगल दवाओं का उपयोग किया जाता है। ये दवाएं फंगस की वृद्धि को रोकती हैं और धीरे-धीरे त्वचा को सामान्य स्थिति में लाती हैं। यहाँ कुछ सामान्य उपचार दिए गए हैं:

  1. एंटीफंगल क्रीम और लोशन: प्रभावित क्षेत्र पर एंटीफंगल क्रीम, लोशन या शैंपू लगाया जाता है। ये फंगस को खत्म करने में मदद करते हैं।
  2. एंटीफंगल गोलियाँ: अगर संक्रमण गंभीर है या क्रीम से कोई लाभ नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर एंटीफंगल दवाओं की गोलियाँ भी लिख सकते हैं।
  3. साफ-सफाई: त्वचा को साफ और सूखा रखना बेहद जरूरी है। रोजाना नहाना और पसीने वाले कपड़े तुरंत बदलना संक्रमण को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
  4. घरेलू उपाय: नारियल का तेल, चाय के पेड़ का तेल (Tea Tree Oil), और एलोवेरा जैसे प्राकृतिक तत्व फंगल संक्रमण को कम करने में मदद कर सकते हैं।

रोकथाम:

छाजन रोग से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। गर्म और नमी वाले स्थानों पर ज्यादा समय न बिताएं, हल्के और सूती कपड़े पहनें और नियमित रूप से एंटीफंगल साबुन का इस्तेमाल करें।

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समय पर इलाज से यह रोग आसानी से ठीक हो सकता है, लेकिन कुछ मामलों में यह फिर से हो सकता है, इसलिए इसे लेकर जागरूक रहना जरूरी है।

Fungal Infection Treatment

फंगल संक्रमण क्या होता है? इसके कौन-कौन से प्रकार है।?

फंगल संक्रमण (Fungal Infection) एक सामान्य त्वचा रोग है, जो फंगस (कवक) के कारण होता है। यह संक्रमण त्वचा, बाल, नाखून, और यहां तक कि आंतरिक अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। फंगस आमतौर पर गर्म और नम स्थानों में पनपता है, इसलिए शरीर के ऐसे हिस्से जो पसीने से गीले रहते हैं, वहां इसका संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है। यह संक्रमण आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, खासकर उन स्थानों पर जहां साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता है।

फंगल संक्रमण के प्रकार:

  1. दाद (Ringworm): यह त्वचा पर गोल, लाल धब्बे के रूप में प्रकट होता है और शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है। यह संक्रमण मुख्य रूप से त्वचा, खोपड़ी, नाखून और पैरों को प्रभावित करता है।
  2. कैंडिडायसिस (Candidiasis): यह संक्रमण कैंडिडा नामक फंगस के कारण होता है और सामान्यत: गीले और गर्म स्थानों पर होता है, जैसे कि मुंह, गला, योनि, और आंतों में। जब प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है या एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक उपयोग किया जाता है, तब कैंडिडायसिस का खतरा बढ़ जाता है।
  3. एथलीट्स फुट (Athlete’s Foot): यह पैरों में होने वाला फंगल संक्रमण है, जो आमतौर पर उन लोगों को होता है जो लंबे समय तक जूतों में पसीना और नमी रखते हैं। इसमें पैरों के बीच खुजली, जलन और त्वचा का फटना शामिल है।
  4. नाखून फंगल संक्रमण (Onychomycosis): यह संक्रमण नाखूनों को प्रभावित करता है, जिससे नाखून पीले, मोटे और कमजोर हो जाते हैं। यह संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ता है और नाखूनों को पूरी तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।

फंगल संक्रमण के कारण:

फंगल संक्रमण मुख्य रूप से गंदगी, नमी, पसीना, और संक्रमित वस्तुओं के संपर्क में आने से होता है। ऐसे लोग जो सार्वजनिक स्थानों जैसे स्विमिंग पूल, जिम, या बाथरूम का उपयोग करते हैं, उन्हें इसका खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, मधुमेह, और अधिक एंटीबायोटिक्स का सेवन भी संक्रमण के जोखिम को बढ़ाता है।

उपचार और सावधानियाँ:

फंगल संक्रमण का इलाज करने के लिए एंटीफंगल क्रीम, लोशन, या गोलियों का उपयोग किया जाता है। घरेलू उपायों के तौर पर टी ट्री ऑयल और एलोवेरा जैसे प्राकृतिक तत्व भी फायदेमंद हो सकते हैं। संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना, सूखे और साफ कपड़े पहनना, और संक्रमित लोगों या वस्तुओं से दूरी बनाना महत्वपूर्ण है।

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सारांश में, फंगल संक्रमण एक गंभीर समस्या हो सकती है अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए। त्वचा की साफ-सफाई और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना फंगल संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।

Ajwain

सत अजवाइन (Sat Ajwain) के फायदे

सत अजवाइन (Sat Ajwain) के फायदे निम्नलिखित हैं:

  • अच्छा पाचन: सत अजवाइन पाचन को सुधारने में मदद करता है और अपच को कम करने में मदद कर सकता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीबैक्टीरियल गुण पेट संबंधित संक्रमणों को भी रोक सकते हैं।
Sat Ajwain
  • वजन नियंत्रण: अजवाइन में विटामिन, खनिजों और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो वजन नियंत्रण में मदद कर सकते हैं।
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  • सर्दी-जुकाम का इलाज: अजवाइन में वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता होती है, इसलिए इसका सेवन सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों को दूर करने में मदद कर सकता है।
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  • बदहजमी का इलाज: अजवाइन में मौजूद विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो बदहजमी और गैस्ट्रिक समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  • मासिक धर्म संबंधित समस्याओं का इलाज: सत अजवाइन का सेवन मासिक धर्म संबंधित समस्याओं जैसे कि दर्द और असमानता को कम कर सकता है।
Sat Ajwain
  • श्वासनली की सफाई: अजवाइन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण श्वासनली को साफ रखने में मदद कर सकते हैं और फेफड़ों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं।

सत अजवाइन (Sat Ajwain) का सीधा प्रयोग बहुत ही कम स्थानों पर होता है, ज़्यादातर सत अजवाइन का प्रयोग कई आयुर्वेदिक औषधियों के formulation में किया जाता है।

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कृपया ध्यान दें कि यह सिर्फ सूचना के उद्देश्य से है और यदि आप किसी भी नई आहार या उपचार की शुरुआत कर रहे हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करना सुरक्षित रहेगा।

नवग्रह वाटिका और इसका महत्व

भारतीय ज्योतिष मान्यता में ग्रहों की संख्या 9 मानी गयी है।

ऐसी मान्यता है कि इन ग्रहों कि विभिन्न नक्षत्रों में स्थिति का विभिन्न मनुष्यों पर विभिन्न प्रकार का प्रभाव पड़ता है, ये प्रभाव अनुकूल और प्रतिकूल दोनों होते हैं।

               नवग्रह मंडल के ग्र्हानुसार वनस्पतियों की स्थापना करने पर वाटिका की स्थिति निम्नानुसार होगी

केतु वृहस्पतिबुध
कुशपीपललटजीरा
शनि सूर्यशुक्र
शामीआकगूलर
राहु मंगलचन्द्र
दूबख़ैरढाक

नवग्रह वृक्षों की स्थपना में संभवतः इसी स्थिति क्रम का उपयोग करना सर्वाधिक उचित होगा । 

नवग्रह वनस्पतियों की पहचान स्वरूप विशिष्ट गुण निम्नप्रकार है:

  1.  आक (मदार) : यह 4 से 8 फुट ऊचई वाला झाड़ीनुमा पौधा है।यह प्राय: निर्जन बंजर भूमि पर पाया जाता है । इसके किसी भाग को तोड़ने पर उससे सफेद रंग का दूधिया पदार्थ निकलता है। इसका पुष्प लालिमा लिये सफेद होता है, फल मोटी फली के रूप मे पत्तों के वर्ण का होता है । बीज रोयेंदार होते है ।          

2॰ ढाक (पलाश) : यह मध्यम ऊचाई का वृक्ष है । इसकी विशिष्ट पहचान इसके तीन पत्रकों वाले पत्ते हैं जिसका उपयोग पत्तल, दोना आदि बनाने मे किया जाता है । पुष्प केसरिया लाल रंग के होते हैं जो फरवरी मार्च मे उगते हैं ।

3॰ खादिर (ख़ैर) : यह समान्य ऊचई का रुक्ष –प्रकृति का वृक्ष है । समान्यतः नदियों के किनारे की रेतीली शुष्क भूमि पर प्रकृतिक रूप से उगता है । पत्तियाँ बबूल सदृश छोटे –छोटे पत्रकों से बनी होती है । फल फली के रूप में होता है ।

  4॰ अपामार्ग (लटजीरा): यह 3 फुट ऊचई का छोटा झाड़ीनुमा पौधा हैइसके पुष्प व फल कंटेदार होते हैं तथा संपर्क में आने पर चिपक जाते हैं ।

5॰ पिप्पल (पीपल) : यह अतिशय ऊंचाई वाला विशालकाय वृक्ष है । पत्ते हृदयकार तथा चिकने होते हैं ।

6॰ औडंबर (गूलर­) : यह अछी ऊचई वाला वृक्ष है । पत्ते चारापनी के रूप मे प्रयोग किये जाते हैं । फल गोल तथा वृक्ष पर गुच्छों के रूप में लगते हैं । कच्चे फल हरे तथा पकने पर गुलाबी लाल रंग के हो जाते हैं जिन्हे पशु –पक्षी रुचि से खाते हैं ।

7॰ शमी (छयोकर) : यह एक माध्यम ऊचई वाला बबूल सदृश वृक्ष है । सामान्यतः यह शुष्क बीहड़ भूमि पर पाया जाता है।

8. दूर्वा (दुव): यह सबसे सामान्य रूप से पायी जाने वाली घास है जो प्राय: अछी भूमि पर उगती है तथा ‘लेमन-ग्रास’ के नाम से ख्याति प्राप्त है । हवन यज्ञादी मेन यह घास प्रयोग में आती है।

9. कुश (कुश) : यह शुष्क बंजर भूमि मे उगने वाली अरुचिकर घास है जिससे पुजा की ‘आसनी’ बनायी जाती है तथा यज्ञीय कार्यो मे इसकी ‘पवित्री’ पहनते है।

रोपण स्थल पर उपरोक्त वनस्पतियों के बीच की दूरी इनके छत्र के अनुसार तथा उपलब्ध स्थान के अनुसार रखी जा सकती है ।

नव ग्रह वनस्पतियों की सूची
क्र॰ सं॰ग्रहसंस्कृत नामस्थानीय हिन्दी नामवैज्ञानिक नाम
1सूर्यअक्रआककैलोट्रोपिस प्रोसेरा
2चन्द्रपलाशढाकब्यूटिया मोनोस्प्र्मा
3मंगलखादिरएखैरअकेसिया कटेचू
4बुधअपामार्गचिचिड़ाएकीराइन्थीज़ एस्पेरा
5वृहस्पतिपिप्पलपीपलफाइकस रिलीजिओसा
6शुक्रऔडंबरगूलरफाइकस ग्लोमेरेटा
7शनिशामीछयोकरप्रोसोपिस सिनरेरीय
8राहूदुर्व्वादूबसाइनोडोन डैक्टिलोन
9केतूकुशकुशडेस्मोस्टेकिया बाइपीननेटा
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