Description
पलास:प्रकृति का वरदान
पलास जिसे टेसू,किंसुक, पर्ण, याज्ञिक, रक्तपुष्पक, क्षारश्रेष्ठ, वात-पोथ, ब्रह्मवृक्ष, ब्रह्मवृक्षक, ब्रह्मोपनेता, समिद्धर, करक, त्रिपत्रक, ब्रह्मपादप, पलाशक, त्रिपर्ण, रक्तपुष्प, पुतद्रु, काष्ठद्रु, बीजस्नेह, कृमिघ्न, वक्रपुष्पक, सुपर्णी, केसूदो,ब्रह्मकलश आदि अनेको नाम से जाना जाता है।
इसके हर नाम इसके गुणों का बखान कर रहा है।
इसके फूलों को “ब्रम्हफूल” भी कहा गया है।
हमारे प्राचीन ग्रंथों ने ब्रम्ह फल या ब्रम्ह अन्न उन चीजों को कहा है,जिनका क्षय नही होता या जिनमे प्रकृति को तदर्थ अणुओ को बांधने वाला तत्व इलेक्ट्रॉन ज्यादा होते है।
आधुनिक विज्ञान ने यह तो सिद्ध कर दिया है कि जिन पदार्थो के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में इलेक्ट्रॉनिक कोशों की संख्या ज्यादा होगी उनका क्षय या विघटन या नाश बहुत कम होगा।
जिन जिन फलो,फूलों, अन्न को हमारे ऋषिओं ने ब्रम्ह शब्द से अलंकृत किया है उनका क्षय या विघटन भी कम होता है।
आयुर्वेद के अनुसार पलाश वात और पित्त (Vata and Pitta) को संतुलित करता है।
इसका उपयोग आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक दवा में बड़े पैमाने पर किया जाता है।
इस पेड़ के सभी भागों का उपयोग विभिन्न रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसमें एंटीमाइक्रोबायल, जीवाणुरोधी, एंटीफंगल, हाइपोग्लाइसेमिक (hypoglycemic), एंटी-इन्फ्लामेट्री, टॉनिक, एफ्रोडायसियाक (Afrodiusiac) और मूत्रवर्धक (Diuretic) गुण होते हैं।
पलाश की पत्तियों में ग्लू कोसाइड, लिनोलेइक एसिड, ओलिक एसिड और लिन्गोसेरिक एसिड (lignoceric acid) बहुत अच्छी मात्रा में होते हैं। पलाश की छाल में गैलिक एसिड (gallic acid), साइनाइडिंग, लुपेनोन, पैलेसिट्रीन, ब्यूटिन, ब्यूटोलिक एसिड, और पैलेससिमाइड शामिल होते हैं। पलाश की गोंद में टैनिन, पायरोटेक चिन (pyrocatechin) और श्लेष्मा जैसी सामग्री होती है।
इस पेड़ के फूलों में फ्लेवोनॉयड्स (flavonoids), ट्राइटर पेन (triterpene), आइसोबुट्रिन (isobutrin), कोरोप्सिन (coreopsin), आइसोकोरोप्सिन (isocoreopsin) और सल्फरिन (sulphurein.) भी अच्छी मात्रा में उपस्थित होते हैं।
रँग व गुलाल
इसके फूलों को गर्म पानी में डालकर रात भर रखें, सुबह पानी को छानकर इस्तेमाल करें।
ऐसे ही फूलो को सुखाकर चावल के साथ पीसकर गुलाल की तरह उपयोग करें।
औषधीय फायदे
- टेसू के फूल के सेवन से एनर्जी(ताकत) मिलती है।
- शरीर में पानी की कमी पूरी होती है।
- टेसू के फूल शरीर में बल्ड बढ़ाने का काम करता है।
- बुखार में टेसू का उपयोग किया जाता है।
- उदर रोगों के लिए टेसू के फूल रामबाण का काम करते हैं।
- आंखों से जुड़ी बीमारियां ठीक होती हैं।
- टेसू के उपयोग से रतौंधी की समस्या से निजात मिलती है।
- टेसू का सेवन ब्लड सर्कुलेशन कंट्रोल करने मदद करता है।
उपयोग विधि-
-पलास के ताजे 1,2 फूलो को पानी के साथ कांच के गिलास में रात भर रखे सुबह पियें।
या
-फूलों के ताजे लाल भाग को सुखाकर यदि आप कफ प्रकृति के हो तो मेथी दाने के साथ पीसकर या आप पित्त प्रकृति के हो तो सौफ मिश्री के साथ पीसकर, वात प्रकृति के हो तो हरड़ के साथ पीसकर इसमे शहद मिलाकर 7 दिन धूप में रखकर फिर प्रतिदिन एक चम्मच सुबह शाम खाएं।
दूध में मिलाकर भी पी सकते है।
-महिलाओं के सौंदर्य के लिए शहद मिला यह गुलकन्द अत्यंत लाभदायक होता है,15 दिन के सेवन से ही शरीर मे एक आभा निखर आती है,होंठ स्वतः गुलाबी हो जाते है।☺
इसके अलावा यह महिलाओं के ऋतु चक्र में भी विशेष फायदेमंद होता है।
पलाश के फूल पेट के संक्रमण के लिए:
यदि आप किसी भी तरह की पेट की समस्याओं जैसे कि आंतरिक घावों, अल्सर आदि से परेशान हैं तो आप पलाश फूल का उपयोग कर सकते हैं। यह आपके पेट और आंत से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए आप 2-3 ग्राम पलाश फूल के पाउड़र का उपभोग करें।
पलाश फूल के गुण नपुंसकता को दूर करे
पुरुषों में नपुंसकता (impotency) की बीमारी को दूर करने के लिए पलाश के फूलों का उपयोग किया जाता है। इस स्थिति से छुटकारा पाने के लिए पलाश के फूलों को इकहठ्ठा कर सुखा लें और इनका पाउडर तैयार करें। आधे चम्मच पावडर में 1 ग्राम मिश्री मिलाएं और एक गिलास दूध में लगभग इस मिश्रण की मिला कर सुबह और शाम इसका सेवन करें। यह पुरुषों की प्रजनन (Reproduction) संबंधी सभी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
मधुमेह के लिए फायदेमंद
मधुमेह के प्रभाव को कम करने के लिए पलाश के फूलों का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए आप पलाश के सूखे फूलों को मेथी दाने के साथ मिलाकर पीसकर मिश्रण तैयार करें। स्वाभाविक रूप से आप अपने शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के लिए प्रतिदिन 1.5 से 2 ग्राम तक इस मिश्रण का सेवन करें। या फिर आप पलाश के फूलों को एकत्रित कर सुखा लें। पहले दिन एक फूल को एक कप पानी में रात भर भींगने दे और सुबह इस पानी का सेवन करें। इस तरह पांचवे दिन तक फूलों की संख्या बढ़ाते रहें और फिर इसी तरह इन फूलों की संख्या को घटाते हुए इस पानी का सेवन करें। यदि आप ऐसा लगातार दो से ढ़ाई माह तक करते हैं तो आप अपने शरीर में चीनी के स्तर में प्रभावी अंतर पा सकते हैं।
पलास का फूल वातशामक होता है,अस्तु यह स्वतः कफ पित्त को भी नियंत्रित करता है।
इसका फूल शरीर से विषाक्त तत्व (Toxin) को भी निकालने में मदद करता है।
पलास के बीज
आयुर्वेद में इस पेड़ के बीज का उपयोग कृमिनाशक (anthelmintic) के रूप में किए जाने का उल्लेख है।
इसके 3 से 4 बीजो को पीसकर दूध में मिलाकर 3 दिन पिये फिर चौथे दिन 10 ml अलसी का कुनकुना तेल पीने से पेट के सभी कृमि निकल जाते है।
इसके बीजों को नीबू रस में पीसकर दाद, खुजली में लगाने पर आराम मिलता है।
पलास का गोंद :
इसे आयुर्वेद में कमरकस भी कहा जाता है।
इसे दूध में डालकर उबालकर पीने से कमर दर्द में आराम मिलता है।
पलास के पत्तो पर भोजन करने से भोजन का स्वाद बढ़ जाता है। आप जरूर आजमाएं।
Other Names: Palash, Tesu, BUTEA MONOSPERMA, Bengal Kino, Palas , Khakharo, Kakracha, Mooduga, palasamu, Parasa, Muttuga, Chichra, dhak.
Form: Dried Raw herb flower
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